July – 2019
July – 2019
युवा प्रभाग – दिव्य दर्पण ग्रुप
जुलाई, 2019 मास के पुरुषार्थ की पॉइंट्स
जुलाई मास का चार्ट:
लक्ष्य – क्रोध महाशत्रु पर विजय
हम ब्राह्मण आत्माओं के पुरुषार्थ के मार्ग पर क्रोध महाशत्रु है. जो खुद को भी तपाता और दूसरों को भी तपाता है. हम योग के माध्यम से जो शांति, ख़ुशी, प्रेम, आनंद स्वयं में भरते हैं उस बुद्धि रूपी मटके को सुखा देता है. क्रोध बाप का नाम बदनाम करता है. क्रोध हमारे सम्बन्ध बिगाड़ता है. हम शांति के सागर परमात्मा की संतान, विश्व को शांति का वरदान देनेवाले क्रोध कैसे कर सकते हैं? क्रोध हमारी आध्यात्मिक शक्तियों को क्षीण करता है.
तो आईये, हम क्रोध महाशत्रु पर विजय पाकर संसार को शांति का रास्ता बताएं और शांति सागर परमात्मा को प्रत्यक्ष करें.
सप्ताह | दिव्य दर्पण का पुरूषार्थ |
पहला | कर्म से क्रोध मुक्त. |
दूसरा | वाणी से क्रोध मुक्त. |
तीसरा | आखों से क्रोध मुक्त. |
चौथा | मनसा से क्रोध मुक्त. |
हर सप्ताह में जो लक्ष्य दिया है उसका अभ्यास एवं चिंतन करना है. उस पर कम से कम 10 लाइन्स में अनुभव लिखना है. रोज रात को चेक करना है कि कितना % क्रोध पर विजय बनें.
- विशेष Activity: मास के हर रविवार को सभी युवा एवं दिव्य दर्पण चार्ट भरने वाले भाई-बहनों का वर्कशॉप रखें. जिसमें ग्रुप बनाकर उन्हें निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार विमर्श कराएं: (एक रविवार का सेम्पल)
- क्रोध मुक्त अर्थात क्या?
- क्रोध से होने वाले नुकसान?
- क्रोध मुक्त की युक्तियाँ कौनसी है?
- Action Plan बनाएं.
- फ्रेम बुक में ऊपर चार पंक्तियों में निम्नलिखित बिंदु लिखकर उसका परिणाम प्रतिदिन रात को सोने से पहले लिखें:
गुड मॉर्निंग – 3.30 अमृतवेला–3.30 से 4.45 व्यायाम/पैदल- हाँ जी
ट्रैफिक कंट्रोल – 5 मुरली क्लास – क्लास में सुनी अव्यक्त मुरली पढ़ी? – हाँ जी
नुमाशाम का योग-हाँ जी स्वमान की स्मृति-बहुत अच्छी क्रोध पर विजय–60%
गुड नाईट – रात्रि – 10.30
- इस मास हम विशेष निम्नलिखित दो मर्यादाओं का कंगन बांधेंगे:
- सदा अंतर्मुखी होकर रहेंगे.
- कभी भी ऊँचे आवाज से नहीं बोलेंगे.
- अभ्यास: हर घंटे एक मिनट के लिए शांति के सागर परमात्मा से शांति की किरणें प्राप्त कर सारे विश्व में शांति की किरणें फैलाएं.
- दिव्य दर्पण के विशेष अभ्यास के साथ-साथ फ्रेम बुक में आज की मुरली के पश्चात् कम से कम 21 बार आज का स्वमान लिखना है या चिंतन कर 10 पॉइंट्स लिखनी है एवं कोई अनुभव हुआ हो तो वह जरुर लिखें.
सप्ताह | स्वमान |
पहला | मैं आत्मा कर्म योगी हूँ. |
दूसरा | मैं आत्मा बहुत-बहुत मीठा बोलने वाली हूँ. |
तीसरा | मैं आत्मा शीतला देवी/देव हूँ. |
चौथा | मैं आत्मा शांत स्वरूप हूँ. |